Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Feb 2024 · 2 min read

रब का एक ही नाम

कौन कहता है भगवान हैं,
दिखा ही नहीं जब किसी को कभी ।
फिर हमें कैसे उससे ये पहचान है,
सबको कहते सुना, मैं देखा ना कभी
बस इतना ही से पहचान है ।।

ये तो सच है कि भगवान है,
राम सब में विराजमान हैं ।
धरती पे रूप माँ बाप का,
राम सीता समान ही हैं ।।

हमसब हैं रब के, रब ही हैं सबके,
उस रब का एक ही नाम ।
वो है राम नाम, वो है राम नाम ।
वो है राम नाम, वो है राम नाम ।।

यहाँ भले कोई झूठ बोले,
या सच में कोई गाली देवे ।
खुद फिर मन ही मन को कोसे,
क्योंकि यहाँ पर सब हैं राम भरोसे ।।

बड़ा छोटा ऊँच नीच,
ये राम नहीं देखते ।
हम ही हैं बुरा भाई,
जो बुराई हैं सींचते ।।

झूठ कहो या सच,
राम हैं विधाता ।
राम के सिवा ना भाई,
दूजा और कोई बुझाता ।।

लेकिन आज यहाँ इस भारत में इस नाम से हमसब,
जय श्रीराम के नारों से जब आपस में नफरत फैलायेंगे ।
तो अमन चैन शांति की जगह इनलोगों में,
गुस्सा और नफरती हिंसा के बादल तो गहरायेंगे ।।

तब फिर कैसे हम आपस में,
मिलकर इस देश में रह पायेंगे ।।
फिर कैसे कल्पना करेंगे हम कि,
अमन चैन शांति की ज्योति इस भारत में हम जलायेंगे ।।

थोड़ा सा गुस्सा,थोड़ी सी नफरत,और अधूरे ज्ञान के कारण ही, लोग यहाँ पर राम को भूल जाने लगे हैं ।
जल्द नहीं कुछ देर सही,आँखे खुलने पर,
सबके दिलों में, प्रभु श्री राम याद आने लगे हैं ।।

जिनके रोम रोम में बसते हैं राम,
ये उनपे जलता मोम चुआते हैं ।
पर राम भी अपने पुरे अंतर्मन से,
उन पापीयों का शीष झुकाते हैं ।।

अहंकारी रावण का वधकर राम,
जग में खुशहाली फैलाते हैं ।
वो मर्यादा में रहते हैं, वो पुरुषों में उत्तम हैं,
इसलिये वो मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाते हैं ।।

राम पे संकट आने पर,
हनुमान उनकी रक्षा में पहुँच जाते हैं ।
परंतु इस कलयुग में इतना अत्याचार देखकर,
ये सारे प्रभु बिल्कुल मौन क्यों हो जाते हैं ?

राजमहल से लेकर जो गरीब की कुटिया तक पहुँच जाते हैं ।
जो त्रेता का राम बनकर द्वापर में कृष्ण रूप में आते हैं ।
पर इस कलयुग में अत्याचार देखकर बिल्कुल मौन हो जाते हैं ।
बस इसी कारण कवि के साथ साथ यहाँ और,
आम जनता भी प्रभु पर थोड़ा कुपित हो जाते हैं ।।

कुछ भी हो इस जग में पर अंत समय जब आता है,
तो सबके हृदय से बस एक ही आवाज निकलता है ।
वो है राम नाम, वो है राम नाम ।
वो है राम नाम, वो है राम नाम ।।

कवि – मनमोहन कृष्ण
तारीख- 25 /01/2024
समय- 02 : 18 ( रात्रि )

Language: Hindi
73 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
प्रेम का मतलब
प्रेम का मतलब
लक्ष्मी सिंह
बड़ी अजब है जिंदगी,
बड़ी अजब है जिंदगी,
sushil sarna
किसान
किसान
Dp Gangwar
चुनना किसी एक को
चुनना किसी एक को
Mangilal 713
"शहीद साथी"
Lohit Tamta
असफलता अनाथ होता है।
असफलता अनाथ होता है।
Dr.Deepak Kumar
चंद दोहा
चंद दोहा
सतीश तिवारी 'सरस'
कौन किसके सहारे कहाँ जीता है
कौन किसके सहारे कहाँ जीता है
VINOD CHAUHAN
"पापा की परी”
Yogendra Chaturwedi
Success Story -3
Success Story -3
Piyush Goel
*आते हैं जो पतझड़-वसंत, मौसम ही उनको मत जानो (राधेश्यामी छंद
*आते हैं जो पतझड़-वसंत, मौसम ही उनको मत जानो (राधेश्यामी छंद
Ravi Prakash
तुम्हारे जैसे थे तो हम भी प्यारे लगते थे
तुम्हारे जैसे थे तो हम भी प्यारे लगते थे
Keshav kishor Kumar
**वसन्त का स्वागत है*
**वसन्त का स्वागत है*
Mohan Pandey
कुछ करो तो बुरा,कुछ ना करो तो बुरा
कुछ करो तो बुरा,कुछ ना करो तो बुरा
Ranjeet kumar patre
ସାର୍ଥକ ଜୀବନ ସୁତ୍ର
ସାର୍ଥକ ଜୀବନ ସୁତ୍ର
Bidyadhar Mantry
इश्क़ कमा कर लाए थे...💐
इश्क़ कमा कर लाए थे...💐
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
जुनूनी दिल
जुनूनी दिल
Sunil Maheshwari
तुम्हारी आंखों के आईने से मैंने यह सच बात जानी है।
तुम्हारी आंखों के आईने से मैंने यह सच बात जानी है।
शिव प्रताप लोधी
Baat faqat itni si hai ki...
Baat faqat itni si hai ki...
HEBA
~ग़ज़ल ~
~ग़ज़ल ~
Vijay kumar Pandey
दोगलापन
दोगलापन
Mamta Singh Devaa
"दुनिया को पहचानो"
Dr. Kishan tandon kranti
*नयन  में नजर  आती हया है*
*नयन में नजर आती हया है*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
ग्यारह होना
ग्यारह होना
Pankaj Bindas
इश्क की रूह
इश्क की रूह
आर एस आघात
3592.💐 *पूर्णिका* 💐
3592.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
सत्य बोलना,
सत्य बोलना,
Buddha Prakash
अपने और पराए की पहचान
अपने और पराए की पहचान
Sonam Puneet Dubey
भाषा और बोली में वहीं अंतर है जितना कि समन्दर और तालाब में ह
भाषा और बोली में वहीं अंतर है जितना कि समन्दर और तालाब में ह
Rj Anand Prajapati
आंखों में ख़्वाब है न कोई दास्ताँ है अब
आंखों में ख़्वाब है न कोई दास्ताँ है अब
Sarfaraz Ahmed Aasee
Loading...