रब का एक ही नाम
कौन कहता है भगवान हैं,
दिखा ही नहीं जब किसी को कभी ।
फिर हमें कैसे उससे ये पहचान है,
सबको कहते सुना, मैं देखा ना कभी
बस इतना ही से पहचान है ।।
ये तो सच है कि भगवान है,
राम सब में विराजमान हैं ।
धरती पे रूप माँ बाप का,
राम सीता समान ही हैं ।।
हमसब हैं रब के, रब ही हैं सबके,
उस रब का एक ही नाम ।
वो है राम नाम, वो है राम नाम ।
वो है राम नाम, वो है राम नाम ।।
यहाँ भले कोई झूठ बोले,
या सच में कोई गाली देवे ।
खुद फिर मन ही मन को कोसे,
क्योंकि यहाँ पर सब हैं राम भरोसे ।।
बड़ा छोटा ऊँच नीच,
ये राम नहीं देखते ।
हम ही हैं बुरा भाई,
जो बुराई हैं सींचते ।।
झूठ कहो या सच,
राम हैं विधाता ।
राम के सिवा ना भाई,
दूजा और कोई बुझाता ।।
लेकिन आज यहाँ इस भारत में इस नाम से हमसब,
जय श्रीराम के नारों से जब आपस में नफरत फैलायेंगे ।
तो अमन चैन शांति की जगह इनलोगों में,
गुस्सा और नफरती हिंसा के बादल तो गहरायेंगे ।।
तब फिर कैसे हम आपस में,
मिलकर इस देश में रह पायेंगे ।।
फिर कैसे कल्पना करेंगे हम कि,
अमन चैन शांति की ज्योति इस भारत में हम जलायेंगे ।।
थोड़ा सा गुस्सा,थोड़ी सी नफरत,और अधूरे ज्ञान के कारण ही, लोग यहाँ पर राम को भूल जाने लगे हैं ।
जल्द नहीं कुछ देर सही,आँखे खुलने पर,
सबके दिलों में, प्रभु श्री राम याद आने लगे हैं ।।
जिनके रोम रोम में बसते हैं राम,
ये उनपे जलता मोम चुआते हैं ।
पर राम भी अपने पुरे अंतर्मन से,
उन पापीयों का शीष झुकाते हैं ।।
अहंकारी रावण का वधकर राम,
जग में खुशहाली फैलाते हैं ।
वो मर्यादा में रहते हैं, वो पुरुषों में उत्तम हैं,
इसलिये वो मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाते हैं ।।
राम पे संकट आने पर,
हनुमान उनकी रक्षा में पहुँच जाते हैं ।
परंतु इस कलयुग में इतना अत्याचार देखकर,
ये सारे प्रभु बिल्कुल मौन क्यों हो जाते हैं ?
राजमहल से लेकर जो गरीब की कुटिया तक पहुँच जाते हैं ।
जो त्रेता का राम बनकर द्वापर में कृष्ण रूप में आते हैं ।
पर इस कलयुग में अत्याचार देखकर बिल्कुल मौन हो जाते हैं ।
बस इसी कारण कवि के साथ साथ यहाँ और,
आम जनता भी प्रभु पर थोड़ा कुपित हो जाते हैं ।।
कुछ भी हो इस जग में पर अंत समय जब आता है,
तो सबके हृदय से बस एक ही आवाज निकलता है ।
वो है राम नाम, वो है राम नाम ।
वो है राम नाम, वो है राम नाम ।।
कवि – मनमोहन कृष्ण
तारीख- 25 /01/2024
समय- 02 : 18 ( रात्रि )