“रंग भरी शाम”
“रंग भरी शाम”
आओ नच लें सुरताल मिलाके
रंगों से प्रीत बढ़ाएँ,
क्या भरोसा काँच का घट ये
किसी दिन टूट जाए।
– डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
“रंग भरी शाम”
आओ नच लें सुरताल मिलाके
रंगों से प्रीत बढ़ाएँ,
क्या भरोसा काँच का घट ये
किसी दिन टूट जाए।
– डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति