रंगों के रंग
रंगों के रूप
तरह तरह के रंग बिछे हैं,अपने देश के अन्दर।
देखना है यदी इनको,हमारे देश मे देखो आकर।
रंग अलग है धर्म अलग है,अलग है जाती-रिवाज़।
फिर भी कहते है सभी यहाँ, मेरा देश महान।
वीर भगत सिंह ने भी था गाया मेरा रंग दे बसंती चोला।
वीर शहीदो को भी तिरंगे मैं शान से जाता है लिपटाया।
तिरंगे के तीन रंग देश का है गौरव बढ़ाए।
केसरिया साहस सिखलाए,सफेद सच्चाई का पथ दिखलाए, हरा रंग सम्पनता दर्शाए।
रंग बी रँगी फूलों से महकता है अपना आँगन।
सभी रंगों को अपने मे समाकर इंद्रधनुष बन जाए,मिलकर साथ-साथ है रहना सिख ये सिखलाए।
मिल जाए जो रंग किसी मैं,शक्ति उसकी बढ़ाए।खुशियों को उसकी रंगीन कर जाए।
मनोर वातावरण बनाए रंग
त्योहारों को सजाए रंग
बेजान सी चीज़ों मे जान भर देते है रंग
जीवन मे खुशनुमा रस बिखेरते हैं रंग।
बिंदी,कुंमकुम श्रंगार से सुहंगन की पहचान कराए रंग
व्यंजनों को निखार स्वाद उनका बढ़ाए रंग।
सुख-दुख को समान दृष्टि से भागीदार बनाए रंग।
भारती विकास(प्रीति)