योग
योग की नित साधना में मन लगाना चाहिए।
हो गई है भोर तो अब जाग जाना चाहिए।(१)
शीत ने दस्तक लगाई है दरों पर आपके,
है बहुत मौसम सुहाना क्यों गॅवाना चाहिए।(२)
हो रहे क्यों आलसी तुम अब इसे झटपट तजो,
वक्त है यह कीमती इसको बचाना चाहिए।(३)
स्वेद को अपने बहायें त्यागकर आलस्य को ,
कर्म पथ आगे बढ़े नहिं इक बहाना चाहिए।(४)
हो रहे हो क्यों दुखी तुम रोग के संताप से,
योग के प्रयोग से ये सब भगाना चाहिए।(५)