ये राम कृष्ण की जमीं, ये बुद्ध का मेरा वतन।
गज़ल- 1
ये राम कृष्ण की जमीं, ये बुद्ध का मेरा वतन।
ये सत्य शिव के सुंदरम, से है बना मेरा वतन।
जो गूंजे तान बंशी की तो, नांचे ग्वाल बाल सब,
ये राधिका के कृष्ण का, है मीरा का मेरा वतन।
ये लाल बाल पाल का, ये राणा जैसे वीर का,
ये झांसी वाली रानी की है, वीरता मेरा वतन।
ये गांधी औ’र सुभाष का, भगत का है आजाद का,
ये राजगुरु की फांसी से, मिला खिला मेरा वतन।
ये आगरा के ताज का, है वीर पृथ्वी राज का,
रहीम राम और गुरु, गोविंद का मेरा वतन।
जो लाखों वीर सीमा पर, खड़े हैं सीना तान कर,
ये प्रेमियों के त्याग से, अमर खड़ा मेरा वतन।
……..✍️ सत्य कुमार प्रेमी