ये दूरियां मिटा दो ना
ये नाराजगी ,ये दूरियां पापा मिटा दो ना।
सबको माफ करके ये फासला मिटा दो ना।
तुम्हारे बिना जीना भला क्या जीना है ।
हमें गलें लगाकर ये दूरियां मिटा दों ना।
पापा तुम्हारे सिवा हमें कुछ ना और चाहीए।
बस तुम्हारा साथ हो, और मेरे ऊंगली में लिपटे आपका हाथ हो।
ऐसा हमें अपना दुनिया दे दों ना।
कब से तरस गई हैं ये नन्ही आंखें ,आपके साथ खेलने और हंसने को।
ये दूरियां मिटाकर हमें अपने पास बुला लो ना।
हमपे अपना प्यार लुटाओ ना।
सभी बच्चों के पिता स्कूल में आतें हैं अपने बच्चों को ले जाने को।
ये दायरा मिटाकर हमें भी कभी लेनें स्कूल आओं ना।
रोज मैं टूटतें तारों से आपके के लिए दुआ मांगती हूं।
हो सदा आप हमारे पास , यहीं ख्वाहिश रखती हूं।
पापा ये नफ़रत के दीवार गिराकर मुझे अपने दुनिया में सामिल कर लो ना।
पापा हमें गले लगा लो ना।
पापा अपने कंधे पे बैठा कर हमें, ये आधी दुनिया दिखा दो ना।
नीतू साह
हुसेना बंगरा, सीवान-बिहार