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8 May 2024 · 1 min read

*ये दिन भी गुजर जाएंगे*

कौन अपना है और कौन पराया
यह फिर ना बताएंगे
उतरते ही वक्त के चश्मे
सभी नजर आएंगे
देख लेना ए मुसाफिर ये दिन भी गुजर जाएंगे
बहते आंखों से आंसू
टूटे सपनों का दुख
बिगड़ते हालात में केवल सच्चे ही साथ निभाएंगे
थाम ले दिल को अपने ये दिन भी गुजर जाएंगे
खून पानी हो गया सारा
निगाहें भी तार तार हो गई
जिन्हें अपना जाना था अब तक
वो बातें बेकार हो गई
वक्त बिगड़ते ही सभी बेरंग हो जाएंगे
धैर्य रख मन में ये दिन भी गुजर जाएंगे
ये दिन भी गुजर जाएंगे

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