यूँ मिला किसी अजनबी से नही
हौंसला है अगर वक़्त भी साथ है
मुश्किलें हैं बड़ी आदमी से नही
है दिया जल रहा रोशनी के लिए
कोई चाहत उसकी किसी से नही
फूल चुनकर लिए आ गई है शबा
आज कोई शिकायत जमीं से नही
तुमको ढूंढू कहाँ तुम कहाँ खो गई
कोई आवाज आती कहीं से नही
इक मुलाकात में बिखर सा गया
यूँ मिला किसी अजनबी से नही।
देवेंद्र प्रताप वर्मा”विनीत”