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21 Dec 2020 · 1 min read

यूँ खुदा से तू राबता रखता

यूँ खुदा से तू राबता रखता
मान माँ बाप का सदा रखता

तू कमाकर दुआएं दुनिया में
दूर अपने से हर बला रखता

हार भी जीत में बदल जाती
पास तू अपने हौसला रखता

माना मजबूरियाँ थीं मिलने में
बातों का तो तू सिलसिला रखता

बात कह देता जो लगी दिल को
अपने दिल में न जलजला रखता

रास्ते तो खुले थे जाने के
आने का भी तो रास्ता रखता

तू नहीं ‘अर्चना’ करता कोई
दीप आशा का बस जला रखता

20-12-2020
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद

1 Like · 1 Comment · 410 Views
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