Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 Jul 2024 · 1 min read

” युद्धार्थ “

” युद्धार्थ ”
शूरवीर और नदियाँ
युद्धार्थ में समान होता है,
कहाँ से उद्गमित होंगी
कोई भान नहीं होता है।

2 Likes · 2 Comments · 49 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr. Kishan tandon kranti
View all
You may also like:
गणतंत्र
गणतंत्र
लक्ष्मी सिंह
"परिस्थिति विपरीत थी ll
पूर्वार्थ
आखिरी अल्फाजों में कहा था उसने बहुत मिलेंगें तेरे जैसे
आखिरी अल्फाजों में कहा था उसने बहुत मिलेंगें तेरे जैसे
शिव प्रताप लोधी
*बूढ़ा हुआ जो बाप तो, लहजा बदल गया (हिंदी गजल)*
*बूढ़ा हुआ जो बाप तो, लहजा बदल गया (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
जो लिखा है
जो लिखा है
Dr fauzia Naseem shad
मुक्तक _ चलें हम राह अपनी तब ।
मुक्तक _ चलें हम राह अपनी तब ।
Neelofar Khan
नए साल के ज़श्न को हुए सभी तैयार
नए साल के ज़श्न को हुए सभी तैयार
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
*मनः संवाद----*
*मनः संवाद----*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
प्यार
प्यार
Ashok deep
फूल सूखी डाल पर  खिलते  नहीं  कचनार  के
फूल सूखी डाल पर खिलते नहीं कचनार के
Anil Mishra Prahari
ये तेरी यादों के साएं मेरे रूह से हटते ही नहीं। लगता है ऐसे
ये तेरी यादों के साएं मेरे रूह से हटते ही नहीं। लगता है ऐसे
Rj Anand Prajapati
ग़ज़ल
ग़ज़ल
दीपक श्रीवास्तव
*अज्ञानी की कलम*
*अज्ञानी की कलम*
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
मचलते  है  जब   दिल  फ़िज़ा भी रंगीन लगती है,
मचलते है जब दिल फ़िज़ा भी रंगीन लगती है,
डी. के. निवातिया
"आँसू"
Dr. Kishan tandon kranti
कैसे आये हिज्र में, दिल को भला करार ।
कैसे आये हिज्र में, दिल को भला करार ।
sushil sarna
लेकिन कैसे हुआ मैं बदनाम
लेकिन कैसे हुआ मैं बदनाम
gurudeenverma198
मेरी हस्ती का अभी तुम्हे अंदाज़ा नही है
मेरी हस्ती का अभी तुम्हे अंदाज़ा नही है
'अशांत' शेखर
।। गिरकर उठे ।।
।। गिरकर उठे ।।
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
मैं सोच रही थी...!!
मैं सोच रही थी...!!
Rachana
मैं उसे पसन्द करता हूं तो जरुरी नहीं कि वो भी मुझे पसन्द करे
मैं उसे पसन्द करता हूं तो जरुरी नहीं कि वो भी मुझे पसन्द करे
Keshav kishor Kumar
यादों के बादल
यादों के बादल
singh kunwar sarvendra vikram
नया साल
नया साल
विजय कुमार अग्रवाल
* मुक्तक *
* मुक्तक *
surenderpal vaidya
घटा घनघोर छाई है...
घटा घनघोर छाई है...
डॉ.सीमा अग्रवाल
जेठ कि भरी दोपहरी
जेठ कि भरी दोपहरी
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
2619.पूर्णिका
2619.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
****** घूमते घुमंतू गाड़ी लुहार ******
****** घूमते घुमंतू गाड़ी लुहार ******
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
स्वामी विवेकानंद
स्वामी विवेकानंद
मनोज कर्ण
ज़िन्दगी
ज़िन्दगी
SURYA PRAKASH SHARMA
Loading...