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30 Jun 2023 · 1 min read

*कबूतर (बाल कविता)*

कबूतर (बाल कविता)
________________________
छोटी गर्दन मोटी काया
मस्त कबूतर सबको भाया

हर समय गुटर-गूॅं करता है
लंबी उड़ान यह भरता है

लेकर संदेशा जाता है
उत्तर लेकर फिर आता है
________________________
रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451

1 Like · 437 Views
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