Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 May 2023 · 2 min read

युग-युगान्तर अनवरत

अच्छा नहीं है
आधे पन्ने से कविता करना,
गजलें लिखना,
हफ्ते भर की बातें
एक सांस में कहना,
क्या पता तुम्हें,
कितनी लम्बी होंगी बातें
कितनी पंक्तियों में
पूर्ण हो सकेंगी

बात चाहे पूरी हो न हो
शुरूआत बड़ी होनी चाहिए
बैठने की जगह चाहे कम मिले
पाँव पसार के सोना चाहिए
जिन्दगी चाहे
मुठ्ठी में बन्द क्यों न हो
स्वप्नों को लेकिन,
आसमान तक जीना चाहिए
दोपहर की कड़कती धूप से लेकर
रात के भयावह अंधेरों तक

दुनिया के
अनिश्चय से लड़ने के लिए
दो चार बातें
जो आधी अधूरी सीखी हैं तुमने
वे अभी निहायत अपुष्ट हैं
अभी भी बहुत कुछ
सीखना होगा तुम्हें
जीवन के
इस बीहड़ प्रदेश में
मृगमरीचिकाओं से
पग-पग पटकी खाते
गिरते उठते अटकते भटकते

यह तय है कि
जीवन का अभिप्राय अधूरा रहेगा
यह भी कि
तुम बेवक्त मार दिए जाओगे
भाग्य प्रारब्ध जन्मपत्री के बहाने,
किन्तु जो सर्वोच्च सच है
वो यह कि तुम्हारा लहू,
वक्त के तीखे खुरदरे
दरिन्दे खूंनी नाखूनों के खिलाफ,
तुम्हारे अस्तित्व के पक्ष में
युग युगान्तर तक अनवरत
खूब मल्लयुद्ध करता रहता है
जब बेफि़क्र सोये रहती हैं,
कोशिकाएं तुम्हारी

बहुत गहरी होती है
असली लहू की छाप
बहुत ऊँचा होता है
आदमी के लहू का स्तूप
आदमी के स्वर से
हजार गुना बड़ी होती है
इन्सानियत की आवाज

गिलहरी के बच्चों की तरह
आदमी ने बेबस बना दिया
आदमी का वजूद,
सच है कि,
हवा पानी सूरज धारती
बालू मिट्टी कंकर पत्थर
दिन रात दोपहर सुबह शाम
कुछ नहीं बदलते संसार में
किन्तु जो सर्वोच्च सच है
वो यह कि इन दीवारों से सने
बाबा आदम के इंसानी लहू को,
श्रद्धा और मनु के प्राणों को,
नहीं मिटा सकेंगी
आगामी सैकड़ों अरबों वहशी पीढ़ियां,
चौंधियाते उजाले लहू का सिर्फ़ रंग जानते हैं
लेकिन अंधेरे हैं कि
जमीन के गर्भगृह में कहीं,
लहू की असली पहचान बनाये रखते हैं।
-✍श्रीधर.

197 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Shreedhar
View all
You may also like:
शांति युद्ध
शांति युद्ध
Dr.Priya Soni Khare
धमकियाँ देना काम है उनका,
धमकियाँ देना काम है उनका,
Dr. Man Mohan Krishna
मेरी फितरत ही बुरी है
मेरी फितरत ही बुरी है
VINOD CHAUHAN
देव्यपराधक्षमापन स्तोत्रम
देव्यपराधक्षमापन स्तोत्रम
पंकज प्रियम
जिंदगी की दास्तां,, ग़ज़ल
जिंदगी की दास्तां,, ग़ज़ल
Namita Gupta
मौन
मौन
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
जहां पर जन्म पाया है वो मां के गोद जैसा है।
जहां पर जन्म पाया है वो मां के गोद जैसा है।
सत्य कुमार प्रेमी
पैमाना सत्य का होता है यारों
पैमाना सत्य का होता है यारों
प्रेमदास वसु सुरेखा
* बचाना चाहिए *
* बचाना चाहिए *
surenderpal vaidya
खरीद लो दुनिया के सारे ऐशो आराम
खरीद लो दुनिया के सारे ऐशो आराम
Ranjeet kumar patre
हाई रे मेरी तोंद (हास्य कविता)
हाई रे मेरी तोंद (हास्य कविता)
Dr. Kishan Karigar
ॐ
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
यहां लोग सच बोलने का दावा तो सीना ठोक कर करते हैं...
यहां लोग सच बोलने का दावा तो सीना ठोक कर करते हैं...
Umender kumar
बुद्ध के बदले युद्ध
बुद्ध के बदले युद्ध
Shekhar Chandra Mitra
हाइकु
हाइकु
अशोक कुमार ढोरिया
जहां में
जहां में
SHAMA PARVEEN
बुद्ध पूर्णिमा के पावन पर्व पर आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं
बुद्ध पूर्णिमा के पावन पर्व पर आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं
डा गजैसिह कर्दम
*** यादों का क्रंदन ***
*** यादों का क्रंदन ***
Dr Manju Saini
मेरे हृदय ने पूछा तुम कौन हो ?
मेरे हृदय ने पूछा तुम कौन हो ?
Manju sagar
संदेश
संदेश
Shyam Sundar Subramanian
गुरु असीम ज्ञानों का दाता 🌷🙏
गुरु असीम ज्ञानों का दाता 🌷🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
जय अम्बे
जय अम्बे
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
रंगोली
रंगोली
Neelam Sharma
कृष्ण कुमार अनंत
कृष्ण कुमार अनंत
Krishna Kumar ANANT
3260.*पूर्णिका*
3260.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
मेरी कविताएं पढ़ लेना
मेरी कविताएं पढ़ लेना
Satish Srijan
अन्तर
अन्तर
Dr. Kishan tandon kranti
Plastic Plastic Everywhere.....
Plastic Plastic Everywhere.....
R. H. SRIDEVI
■ नंगे नवाब, किले में घर।।😊
■ नंगे नवाब, किले में घर।।😊
*प्रणय प्रभात*
मान बुजुर्गों की भी बातें
मान बुजुर्गों की भी बातें
Chunnu Lal Gupta
Loading...