Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
23 Aug 2022 · 1 min read

*या बीते कल को सपना (गीत)*

या बीते कल को सपना (गीत)
◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆
वर्तमान को स्वप्न कहें ,या बीते कल को सपना
( 1 )
बचपन गया जवानी आई ,बूढ़ापन फिर छाया
बदला – बदला दृश्य समूचा ही दिखने में आया
गए पुरातन साथी सारे ,कोई रहा न अपना
( 2 )
जिनकी गोदी में खेले थे ,उँगली पकड़ चले थे
जिनके रूप सुगंधित साँसों के क्रम बड़े भले थे
शेष रह गया चित्र टँगा ,उसको ही केवल जपना
( 3 )
नई राह कुछ नए मोड़ ,जीवन में अक्सर आए
नए मिले कुछ लोग ,नए उनसे संबंध बनाए
एक नए युग की रचना में ,है रोजाना खपना
वर्तमान को स्वप्न कहें ,या बीते कल को सपना
•••••••••••••••••••••••••••••••••••••
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451

Language: Hindi
Tag: गीत
138 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ravi Prakash
View all
You may also like:
"गौरतलब"
Dr. Kishan tandon kranti
शब्द लौटकर आते हैं,,,,
शब्द लौटकर आते हैं,,,,
Shweta Soni
नारी बिन नर अधूरा🙏
नारी बिन नर अधूरा🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
ज़िंदगी से शिकायतें बंद कर दो
ज़िंदगी से शिकायतें बंद कर दो
Sonam Puneet Dubey
"सत्य"
Dr. Reetesh Kumar Khare डॉ रीतेश कुमार खरे
मेरा स्वर्ग
मेरा स्वर्ग
Dr.Priya Soni Khare
मैं एक फरियाद लिए बैठा हूँ
मैं एक फरियाद लिए बैठा हूँ
Bhupendra Rawat
महबूबा से
महबूबा से
Shekhar Chandra Mitra
गुज़िश्ता साल
गुज़िश्ता साल
Dr.Wasif Quazi
ख़ामोशी को कभी कमजोरी ना समझना, ये तो तूफ़ान लाती है।।
ख़ामोशी को कभी कमजोरी ना समझना, ये तो तूफ़ान लाती है।।
Lokesh Sharma
...........
...........
शेखर सिंह
सामयिक साहित्य
सामयिक साहित्य "इशारा" व "सहारा" दोनों दे सकता है। धूर्त व म
*प्रणय प्रभात*
बह्र ....2122  2122  2122  212
बह्र ....2122 2122 2122 212
Neelofar Khan
बुदबुदा कर तो देखो
बुदबुदा कर तो देखो
Mahender Singh
शब की रातों में जब चाँद पर तारे हो जाते हैं,
शब की रातों में जब चाँद पर तारे हो जाते हैं,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
मंज़र
मंज़र
अखिलेश 'अखिल'
तुम हमेशा से  मेरा आईना हो॥
तुम हमेशा से मेरा आईना हो॥
अमित
3483.🌷 *पूर्णिका* 🌷
3483.🌷 *पूर्णिका* 🌷
Dr.Khedu Bharti
इंसानियत
इंसानियत
साहित्य गौरव
एक शख्स  एक दुनिया हो सकता है
एक शख्स एक दुनिया हो सकता है
पूर्वार्थ
*खो गया  है प्यार,पर कोई गिला नहीं*
*खो गया है प्यार,पर कोई गिला नहीं*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
*जी लो ये पल*
*जी लो ये पल*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
Friendship Day
Friendship Day
Tushar Jagawat
*बोलें सबसे प्रेम से, रखिए नम्र स्वभाव (कुंडलिया)*
*बोलें सबसे प्रेम से, रखिए नम्र स्वभाव (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
गीत लिखती हूं मगर शायर नहीं हूं,
गीत लिखती हूं मगर शायर नहीं हूं,
Anamika Tiwari 'annpurna '
मृदुभाषी व्यक्ति मीठे अपने बोल से
मृदुभाषी व्यक्ति मीठे अपने बोल से
Ajit Kumar "Karn"
मैं स्वयं हूं..👇
मैं स्वयं हूं..👇
Shubham Pandey (S P)
तूं ऐसे बर्ताव करोगी यें आशा न थी
तूं ऐसे बर्ताव करोगी यें आशा न थी
Keshav kishor Kumar
दिल के दरवाजे भेड़ कर देखो - संदीप ठाकुर
दिल के दरवाजे भेड़ कर देखो - संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
शिवनाथ में सावन
शिवनाथ में सावन
Santosh kumar Miri
Loading...