वज़्न - 2122 1212 22/112 अर्कान - फ़ाइलातुन मुफ़ाइलुन फ़ैलुन/फ़इलुन बह्र - बहर-ए-ख़फ़ीफ़ मख़बून महज़ूफ मक़तूअ काफ़िया: आ स्वर की बंदिश रदीफ़ - न हुआ
-- मौत का मंजर --
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
हां मैं पारस हूं, तुम्हें कंचन बनाऊंगी
Wishing you a Diwali filled with love, laughter, and the swe
डॉ. नगेन्द्र की दृष्टि में कविता
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काम,क्रोध,भोग आदि मोक्ष भी परमार्थ है
एक नज़र से ही मौहब्बत का इंतेखाब हो गया।
दुनिया का क्या दस्तूर बनाया, मरे तो हि अच्छा बतलाया
मकसद कि दोस्ती
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
"नृत्य आत्मा की भाषा है। आत्मा और परमात्मा के बीच अन्तरसंवाद
मैं बारिश में तर था
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
चाय की चुस्की लेते ही कुछ देर तक ऊर्जा शक्ति दे जाती है फिर