Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
10 Aug 2022 · 1 min read

याद सावन की

सावन में ए रिमझिम वर्षा
कुछ बीती याद दिलाती है
झूले ,कजरी और टोली वो
फिर से मुझे पास बुलाती है

अरे शिव मंदिर का मेला वो
चहुँ ओर बोलबम का नारा
अरे सुबह सुबह मंदिर आना
बारिश में लगता था प्यारा

ढूँढूँ चंहुओर मिले न कहीं
अब पहले जैसी बातें वो
ना दिन ही रहे पहले जैसे
ना रह गईं अब रातें वो

ना दिखे धूप ना छाँव दिखे
अब पहले के नहीं गाँव दिखे
ना प्रेम दिखे पहले सा कहीं
बस पैसे का ही चाव दिखे

करूँ एक नम्र विनती प्रभु से
वो बीते दिन वापस कर दो
जो कुछ हम सब भुल गए
इक याद बना सबमें भर दो-2

Language: Hindi
120 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
" गुरु का पर, सम्मान वही है ! "
Saransh Singh 'Priyam'
क्यों पड़ी है गांठ, आओ खोल दें।
क्यों पड़ी है गांठ, आओ खोल दें।
surenderpal vaidya
सरहदों को तोड़कर उस पार देखो।
सरहदों को तोड़कर उस पार देखो।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
2941.*पूर्णिका*
2941.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
*माता चरणों में विनय, दो सद्बुद्धि विवेक【कुंडलिया】*
*माता चरणों में विनय, दो सद्बुद्धि विवेक【कुंडलिया】*
Ravi Prakash
Love is
Love is
Otteri Selvakumar
मैंने एक दिन खुद से सवाल किया —
मैंने एक दिन खुद से सवाल किया —
SURYA PRAKASH SHARMA
वक्त से वकालत तक
वक्त से वकालत तक
Vishal babu (vishu)
पुकार
पुकार
Dr.Pratibha Prakash
!! ख़ुद को खूब निरेख !!
!! ख़ुद को खूब निरेख !!
Chunnu Lal Gupta
मित्रता स्वार्थ नहीं बल्कि एक विश्वास है। जहाँ सुख में हंसी-
मित्रता स्वार्थ नहीं बल्कि एक विश्वास है। जहाँ सुख में हंसी-
Dr Tabassum Jahan
" मैं फिर उन गलियों से गुजरने चली हूँ "
Aarti sirsat
होली (विरह)
होली (विरह)
लक्ष्मी सिंह
जिसकी जुस्तजू थी,वो करीब आने लगे हैं।
जिसकी जुस्तजू थी,वो करीब आने लगे हैं।
करन ''केसरा''
"ऐ मितवा"
Dr. Kishan tandon kranti
*जब एक ही वस्तु कभी प्रीति प्रदान करने वाली होती है और कभी द
*जब एक ही वस्तु कभी प्रीति प्रदान करने वाली होती है और कभी द
Shashi kala vyas
कौशल कविता का - कविता
कौशल कविता का - कविता
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
अंतराष्टीय मजदूर दिवस
अंतराष्टीय मजदूर दिवस
Ram Krishan Rastogi
ख़ुद के होते हुए भी
ख़ुद के होते हुए भी
Dr fauzia Naseem shad
ना बातें करो,ना मुलाकातें करो,
ना बातें करो,ना मुलाकातें करो,
Dr. Man Mohan Krishna
हरी भरी तुम सब्ज़ी खाओ|
हरी भरी तुम सब्ज़ी खाओ|
Vedha Singh
इंद्रदेव की बेरुखी
इंद्रदेव की बेरुखी
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
#मुक्तक-
#मुक्तक-
*Author प्रणय प्रभात*
इंसान चाहे कितना ही आम हो..!!
इंसान चाहे कितना ही आम हो..!!
शेखर सिंह
गर्म चाय
गर्म चाय
Kanchan Khanna
*रंग पंचमी*
*रंग पंचमी*
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
🌹🌹हर्ट हैकर, हर्ट हैकर,हर्ट हैकर🌹🌹
🌹🌹हर्ट हैकर, हर्ट हैकर,हर्ट हैकर🌹🌹
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
+जागृत देवी+
+जागृत देवी+
Ms.Ankit Halke jha
मनमोहिनी प्रकृति, क़ी गोद मे ज़ा ब़सा हैं।
मनमोहिनी प्रकृति, क़ी गोद मे ज़ा ब़सा हैं।
कार्तिक नितिन शर्मा
तुमसे मोहब्बत हमको नहीं क्यों
तुमसे मोहब्बत हमको नहीं क्यों
gurudeenverma198
Loading...