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16 Feb 2024 · 1 min read

“याद रहे”

“याद रहे”
कौन याद रखता है
उस अन्धेरे वक्त के दीदारों को,
सुबह होते ही
बुझा देते हैं जलते हुए चिरागों को.

-डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति

8 Likes · 5 Comments · 147 Views
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