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16 May 2024 · 1 min read

कर्म

कर्मों का ही खेल है सारा, शेष उस शक्ति का ही पसारा
असंख्य आकाश गंगा गगन में असंख्य रवि का उजियारा
रूप नाम भिन्न स्थान एक सतत वही सर्वशक्तिमान श्रोत
असंख्य ब्राह्मण जगत में फैल एक ही ऊर्जा का विस्तारा

Language: Hindi
1 Like · 30 Views
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