यादो की चिलमन
यादो की फिर दौड चली है रेल
मुस्कान कभी अश्क की रेलमपेल
कद से ऊंची साइकिल की सवारी
हवाई उडान मे भी उसकी याद भारी
डबल बेड के मोटे गद्दो की क्या है कोई बिसात
छत पर दरी पे लेटे , क्या खूब थी तारे गिनने की क्लास
पेड पे हाथ बढाके तोडे थे जो अमरूद जामुन
बालकनी के गमलो को पानी देते कैसे हो मालूम
ट्रांजिस्टर पर पूरा घर जब सुनता था गीत माला
हेडफोन को कान मे धर भूला “शिष्य” ओटीटी वाला
संदीप पांडे”शिष्य” अजमेर