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20 Jul 2020 · 1 min read

“यादें बचपन की”

मुझें याद है
धुंधली सी एक तस्वीर
और उस पर सजी मकड़ी की जाल
विकसित हुआ कितना कुछ
पर पिछड़ी – पछाड़ी धूल से भरी
तस्वीर मेरे जीवन की,

पहनी थी मै लखनवी चिकन का
मेरा पहला वो झाला
जिस पर मां ने
ममता के अनुबंध से
प्यार के गुलाबी फूल टांके थे,
और सिर को सहलाते हुए
गुनगुनाई थी वो,
लोरी की धुन सुनाई थी वो

बचपन की यादें रह गई
आत्मीय किताबों में
उखड़ा – उखड़ा सा लगता है मन
कंपित डाली की तरह।

Language: Hindi
2 Likes · 6 Comments · 443 Views
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