यह बातें आपसे सीखी
कोशिश व्यर्थ नहीं जाती ,यह प्रेरणा आपसे सीखी।
सशरीर लोगों तक न पहुंच कर मन की बातें लोगो तक पहुंचानी, स्वयं को उनके समीप लानी,
यह बातें मैंने आपसे सीखी।
सीखने सिखाने की गतिविधि,
मुश्किलों में भी मुस्कुराने की विधि,
कभी थाली तो, कभी दिवाली सबके करीब स्वयं आने की यह गतिविधि,
यह बातें मैंने आपसे सीखी।
झूम कर कचरे घर से निकालने
मधुर संगीत घर-घर बजाने,
भारत को स्वच्छ बनाने ,स्वयं को स्वच्छता अभियान में आगे लाने,
यह बातें मैंने आपसे सीखी।
भूखे पेट सोतो के घर राशन पहुंचाने,
धोखे से निकाल उज्जवला हाथ में दिलाने, झोपड़ी से खुद को निकाल खुद का आशियां बनाने
गरीबों के चेहरे पर मुस्कान लाने की कोशिशें,
यह बातें मैंने आपसे सीखी।
हर घर तिरंगा फहराने, तिरंगे का मान बढ़ाने,
देशभक्ति से भरे अमृत महोत्सव को नए ढंग से मनाने का यह अंदाज,
मैंने आपसे सीखा।
कोशिश व्यर्थ नहीं जाती यह प्रेरणा मैंने आपसे सीखा।
डॉ माधवी मिश्रा ‘शुचि ‘
उत्तर प्रदेश