Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 Mar 2024 · 2 min read

पिया मोर बालक बनाम मिथिला समाज।

पिया मोर बालक बनाम मिथिला समाज।
-आचार्य रामानंद मंडल

पिया मोर बालक,हम तरूणि गे!
कौन तप चुकलौं भेलौ जननि गे !
पिया मोर बालक….

पहिरि लेल सखी दछिन चीर
पिया के देखैत मोरा दगध शरीर
पिया लेल गोद कै चलली बाजार
हटिया के लोग पूछे के लागै तोहार
पिया मोर बालक……

नहीं मोरा देवर की नहीं छोट भाई
पूरब लिखल छल बलमु हमार
वाट के बटोहिया के तुहु मोरा भाई
हमरो समाद नैहर लेने जाय
पिया मोर बालक…….

कही हुन बाबा के कीनै धेनु गाय
दुधवा पिआई के पोसत जमाई
भनही विद्यापति सुनहु बृजनारि
धयरज धैरहुं मिलत मुरारी
पिया मोर बालक….

ई लोकप्रिय रचना मैथिली महाकवि विद्यापति के हय। भले ई भगवान कृष्ण के बाल रूप आ हुनकर जवान गोपिका के प्रेम के व्यक्त गेल हय। परंच कहल जाय हय कि अइ रचना मे महाकवि समाज में व्याप्त तत्कालीन स्त्री के दुर्दशा के व्यक्त कैलन हय।अइ रचना के भक्ति रचना न मानल जाइत हय बल्कि सामाजिक रचना कहल जाइत हय।
महाकवि विद्यापति के काल १३५०ई से १४५० ई हय। महाकवि से पहिले से लेके वर्तमान तक के साहित्यिक इतिहास मे कोनो एहन घटना के उल्लेख न मिलय हय कि कोनो बालक के बिआह कोनो युवती से भेल होय।जौकि बुढ वर से बालिका बिआह के बहुत दृष्टांत मिलय हय। साहित्यिक इतिहास अइसे भरल हय। शिव आ पार्वती वोकरे स्वरूप कहल जा सकैय हय।बाल बिधवा के दुर्दशा से त मैथिली साहित्य नोर झोर हय। मिथिला के संस्कृति में बालिका बधु बिआह आ बहु पत्नी बिआह प्रथा रहल हय।तब केना पिया मोर बालक,हम तरूणि गे रचल गेल होयत।
‌ वास्तव मे महाकवि विद्यापति के उक्त रचना विशुद्ध रूप से भक्ति रचना हय। महाकवि के सामाजिक रचना न हय। जौं रहैत त –
पिया मोर बुढ़वा हम बालिका गे होइत,न कि
पिया मोर बालक हम तरूणि गे।
-आचार्य रामानंद मंडल, सामाजिक चिंतक सह साहित्यकार सीतामढी।

Language: Maithili
Tag: लेख
2 Likes · 2337 Views

You may also like these posts

जिसने सिखली अदा गम मे मुस्कुराने की.!!
जिसने सिखली अदा गम मे मुस्कुराने की.!!
शेखर सिंह
'ग़ज़ल'
'ग़ज़ल'
Godambari Negi
कौवा (गीतिका)
कौवा (गीतिका)
Ravi Prakash
KAMAAL HAI YE HUSN KI TAKAT
KAMAAL HAI YE HUSN KI TAKAT
Sarv Manglam Information technology
"बीते लम्हें"
Dr. Kishan tandon kranti
अपनी आंखों को मींच लेते हैं।
अपनी आंखों को मींच लेते हैं।
Dr fauzia Naseem shad
तुम आना
तुम आना
Dushyant Kumar Patel
प्यार ऐसा हो माता पिता के जैसा
प्यार ऐसा हो माता पिता के जैसा
Rituraj shivem verma
मुक्ति
मुक्ति
Deepesh Dwivedi
मेरी जिंदगी, मेरी आरज़ू, मेरा जहां हो तुम,
मेरी जिंदगी, मेरी आरज़ू, मेरा जहां हो तुम,
Jyoti Roshni
मेरे जीवन में सबसे
मेरे जीवन में सबसे
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
भाग्य और कर्म
भाग्य और कर्म
Pushpa Tiwari
सर्पीली सड़क
सर्पीली सड़क
अरशद रसूल बदायूंनी
जिंदगी के उतार चढ़ाव में
जिंदगी के उतार चढ़ाव में
Manoj Mahato
उड़ गया दिल वहां से
उड़ गया दिल वहां से
Shinde Poonam
जीवन का बस यही फसाना ,
जीवन का बस यही फसाना ,
Karuna Goswami
ज़िन्दगी का फ़लसफ़ा
ज़िन्दगी का फ़लसफ़ा
Chitra Bisht
She never apologized for being a hopeless romantic, and endless dreamer.
She never apologized for being a hopeless romantic, and endless dreamer.
Manisha Manjari
My biggest fear is attachment.
My biggest fear is attachment.
पूर्वार्थ
गांव की भोर
गांव की भोर
Mukesh Kumar Rishi Verma
पढ़ें चुटकुले मंचों पर नित
पढ़ें चुटकुले मंचों पर नित
अटल मुरादाबादी(ओज व व्यंग्य )
प्यारी सुबह
प्यारी सुबह
Santosh kumar Miri
अब नहीं चाहिए बहारे चमन
अब नहीं चाहिए बहारे चमन
Kanchan Gupta
"तुम्हारे नाम"
Lohit Tamta
क्यूँ करते हो तुम हम से हिसाब किताब......
क्यूँ करते हो तुम हम से हिसाब किताब......
shabina. Naaz
3846.💐 *पूर्णिका* 💐
3846.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
कविता
कविता
Shiva Awasthi
ज़िंदगी...
ज़िंदगी...
Srishty Bansal
रात नहीं सपने बदलते हैं,
रात नहीं सपने बदलते हैं,
Ranjeet kumar patre
क्यों हो गया अब हमसे खफ़ा
क्यों हो गया अब हमसे खफ़ा
gurudeenverma198
Loading...