यहीं सब है
यहीं सुख है ,यही दुख है
यहीं स्वर्ग है ,यहीं नर्क भी
साम्राज्य यहीं रावण का है
मगर राम राज्य भी यहीं I
भटक कर ,उलझ कर
न होगा कुछ तुम्हें हासिल
यहीं सब ख़ुशी , सब दुःख
जग में क्या नहीं शामिल?
वनों में भी नहीं कोई सुकून
न विश्रांति से मिले शांति
कोई दवा की नही हुई रचना
जो मिटा दे जन्नत की भ्रान्ति !
जी सके जो तुम निर्विघ्न
तो जीवन सुरलोक में काटा
जो जिए दुष्कर्म कर निशदिन
तो समझो यमालय में समय बांटा !