मौत के परवाने
दुनियाँ में उसूलों वाले बड़े किरदार दिखते है,
वफ़ा जो कर नही सकते ऐसे बीमार दिखते हैं।
हसरतें उनकी ऐसी है कि जैसे आसमा छू लेंगे,
मगर करतब को देखो तो बड़े बेकार दिखतें है।
खिदमत करलो अब तुम अपने बूढ़े माँ-बाप की,
जवानी ढल गई उनकी बड़े लाचार दिखते हैं।
समझाओगे क्या ‘अमित’ उन्हें यहां पर ज्ञान की बातें,
जो समझने से ही पहले यहां इनकार दिखते है।
मुकम्मल हो भी जाए रास्ता उन तक पहुंचने की,
कहाँ चेहरे से उनकी खुशी के कोई आसार दिखते हैं।
चीर के भी दिखला दो अगर तुम अपना हाले दिल,
मौत के परवानो को कहां यहां अब प्यार दिखते है।
अमित प्रसाद ‘आर्या’ आसनसोल (प. बंगाल)