*मोती बनने में मजा, वरना क्या औकात (कुंडलिया)*
मोती बनने में मजा, वरना क्या औकात (कुंडलिया)
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मोती बनने में मजा, वरना क्या औकात
कण होता है रेत का, दो कौड़ी का गात
दो कौड़ी का गात, सीप में जा इतराता
बिना मूल्य का रेत, कीमती रत्न कहाता
कहते रवि कविराय, परिस्थिति अद्भुत होती
इससे बनता भाग्य, रेत बन जाता मोती
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गात = शरीर
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997 615 451