मैने प्रेम,मौहब्बत,नफरत और अदावत की ग़ज़ल लिखी, कुछ आशार लिखे
मैने प्रेम,मौहब्बत,नफरत और अदावत की ग़ज़ल लिखी, कुछ आशार लिखे हैं।
कुछ बंद पडे हें पोथी मे,कुछ सराहे है लोगो ने,
ऐसे वो जीवन आधार लिखे हैं।।
मृगनयनी की चंचल चितवन के मधुर श्रंगार लिखे हैं।
राष्ट्र धर्म के भी कुछ. सबल प्रतिकार लिखे हैं।।
जीवन के अगणित अनुभव की अनुभूति चित्रित की,
नश्वर जीवन के शाश्वत सुप्त अभिसार लिखे हैं।।
महाभारत की गाथा के निश्छल, निरुपम, निष्कपट चिंतन आधार लिखे हैं।
कर्मयोग का कलियुग मे महत्व कितना है?
पर्यावरण परिवर्तन पर मानव दायित्व प्रहार लिखे हैं।।
अच्छा-बुरा,नीति-नियति से प्रतिबंधित,
निष्काम कर्मयोग के अकिंचन मार्ग लिखे हैं।।
स्वीकार करें या धिक्कारैं,पर पढ विचार लिखे हैं।
साहित्यिक पुरस्कार की नही अभिलाषा कोई मेरी,
साहित्यिक लेखनी परिमार्जन बारम्बार लिखे हैं।।
बोधिसत्व कस्तूरिया एडवोकेट मौलिक रचना सर्वाधिकार सुरक्षित।