मैं हूँ श्रमिक
शीर्षक:*मैं हूँ श्रमिक
जी हाँ मैं हूँ श्रमिक…!
हूँ श्रमिक मैं एक छोटा सा
श्रमजीवी,मजदूर,मजबूर सा
गरीब नाम से भी पुकारा जाता सा
अदना सा ,बेचारा सा मजदूर हूँ मैं
जी हाँ मैं हूँ श्रमिक…!
नाम कितने भी हो मेरे पर
असहाय सा मैं
नियति का मारा बेचारा
मेरे नाम पर ही भर लेते
झोली बड़े पैसे वाले ओर मैं बेचारा
जी हाँ मैं हूँ श्रमिक…!
राशन भी मिलता मुफ्त
पर नाम मेरा ही होता
न जाने कैसे कैसे
पालता पेट कुटुम्ब का
दर दर ठोकर खाता मैं श्रमिक बेचारा
जी हाँ मैं हूँ श्रमिक…!
घर बनाता आलीशान पर
खुद फुटपाथ पर सोता
सरकारी डंडो की मार भी मैं खाता
अपने लिए तो एक आशियाना न बना पाता
जी हाँ मैं हूँ श्रमिक…!
मीलों दूर गाँव अपना छोड़ मैं आता
परदेसी कहलाकर भी काम
बड़ो के कर जाता
योगदान मेरा ही होता पर श्रमिक ही कहलाता
जी हाँ मैं हूँ श्रमिक…!
अथक गर्मी की मार भी सहता
बिना रुके काम मैं करता
न्यूनतम आवश्यकता भी पुरइन कर पाता
पसीना मेरा पानी समान हैं बहता
जी हाँ मैं हूँ श्रमिक…!
कभी कभी तो भूखे पेट ही हैं पड़ता सोना
मन का मेरे दुखता कोना कोना
जब बच्चे मेरे ताकते मुजगे आता हैं रोना
बहुत दुख देता हैं एक श्रमिक होना
जी हाँ मैं हूँ श्रमिक…!
सुना आज बड़े लोग मनाते श्रमिक दिवस
पर मैं रोजी रोटी को हूँ कितना विवश
निकालो मेरा भी कोई तो निष्कर्ष
कि मैं भी खुशी खुसी मना सकूँ श्रमिक दिवस
डॉ मंजु सैनी
गाज़ियाबाद