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16 Jan 2024 · 1 min read

राम – दोहे – डी के निवातिया

राम दोहे
***

घट-घट में रावण बसे, करे राम का जाप !
द्वेष भाव मन से मिटा, राम मिलेंगे आप !!

राम जगत के देव है, देते सबको नाम !
मूरख प्राणी है चला, देने उनको धाम !!

राम नाम की लहर में, तरते दुर्जन आम !
कलयुग के पापी चलें, वेष बना के राम !!

दशरथ नगरी हो उठी, सजधज के तैयार !
राम लला देखन चलें, देश संग परिवार !!

जग-मग नगरी हो रही, महके कौशल धाम !
जित-जित को नैना उठे, दिखे राम ही राम !!
!
स्वरचित: डी के निवातिया

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