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20 Feb 2018 · 1 min read

मैं शराबी हुआ

मैं शराबी हुआ
………………….

जाम पे जाम छलकाने पीने लगा”
लोग कहते यहीं तो खराबी हुआ!
जाम पीने की ऐसी लगी मुझको लत,
सब ये कहते मुझे मैं शराबी हुआ!!

उम्र थमने लगी साँस रुकने लगी,
जाम की मांग हरदिन ही बढने लगी!
आज कारण यहीं मैं जबाबी हुआ,
सब ये कहते मुझे मैं शराबी हुआ!!

जाम पीने की आदत गजब ढा गई,
जानकर भी मुझे मौत ही भा गई!
मौत सुनकर मुझे बदहवासी हुआ,
सब ये कहते मुझे मै शराबी हुआ!!

इश्क करने चला था वफा जानकर,
बेवफाई मिली थी मुझे हारकर!
इश्क करने में बस मैं ख्वाबी हुआ,
सब ये कहते मुझे मैं शराबी हुआ!!

प्यारा की राह में मैं चला था कभी,
बेवफाई की ठोकर, गीरा मैं तभी!
राह चुनने में मुझसे खराबी हुआ,
सब ये कहते मुझे मैं शराबी हुआ!!

जान कर मौत को मै लगाया गले,
प्यार फिर भी तेरा इस हृदय में पले!
जाम के प्यार में मैं नवाबी हुआ,
सब ये कहते मुझे मैं शराबी हुआ!!

जाम होठों पे मेरे थीरकने लगा,
इश्क के नाम पर मैं गमकने लगा!
प्यार की राह में मैं गुलाबी हुआ,
सब ये कहते मुझे मैं शराबी हुआ!!
————
©® पं.संजीव शुक्ल “सचिन”
20/2/2018

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