मैं लिखता हूँ जो कुछ भी
मैं लिखता हूँ जो कुछ भी
कभी पढ़ कर भी देखो तुम
मेरे लिखे हर्फ़ों में बस
तुम्हें अपनी सूरत नज़र आएगी
सोचता हूँ तुम्हें जब भी
खुद ब खुद कलम यूँ ही
कोरे पन्नो पर चलती जाएगी
झूठे वादे कर मैं
रिश्ता निभा नही सकता
आसमाँ से चाँद तारे
तोड़ ला नही सकता
लेकिन ये भी सच है कि
मैं तुझे भूला नही सकता
भूपेंद्र रावत
27।03।2020