“मैं मोहब्बत हूँ”
“मैं मोहब्बत हूँ”
देह, रूह, उम्र से परे
गीत, ग़ज़ल, कविता से परे
मज़हब और बिरादरी से परे
देश, काल, सरहद से परे
हर बन्दिशों से परे
जो कभी ना मरे
मैं मोहब्बत हूँ।
– डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
“मैं मोहब्बत हूँ”
देह, रूह, उम्र से परे
गीत, ग़ज़ल, कविता से परे
मज़हब और बिरादरी से परे
देश, काल, सरहद से परे
हर बन्दिशों से परे
जो कभी ना मरे
मैं मोहब्बत हूँ।
– डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति