Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 Apr 2024 · 1 min read

बस तुम्हें मैं यें बताना चाहता हूं …..

बस तुम्हें मैं यें बताना चाहता हूं …..
तुम्हारे संग जीवन बिताना चाहता हूं

-केशव

23 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
♥️
♥️
Vandna thakur
पलकों से रुसवा हुए, उल्फत के सब ख्वाब ।
पलकों से रुसवा हुए, उल्फत के सब ख्वाब ।
sushil sarna
वो मेरी कविता
वो मेरी कविता
Dr.Priya Soni Khare
जिन्दा हो तो,
जिन्दा हो तो,
नेताम आर सी
जाओ तेइस अब है, आना चौबिस को।
जाओ तेइस अब है, आना चौबिस को।
सत्य कुमार प्रेमी
2566.पूर्णिका
2566.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
#जयहिंद
#जयहिंद
Rashmi Ranjan
देख भाई, ये जिंदगी भी एक न एक दिन हमारा इम्तिहान लेती है ,
देख भाई, ये जिंदगी भी एक न एक दिन हमारा इम्तिहान लेती है ,
Dr. Man Mohan Krishna
सिर्फ पार्थिव शरीर को ही नहीं बल्कि जो लोग जीते जी मर जाते ह
सिर्फ पार्थिव शरीर को ही नहीं बल्कि जो लोग जीते जी मर जाते ह
पूर्वार्थ
"तेरी यादों ने दिया
*Author प्रणय प्रभात*
कृतज्ञ बनें
कृतज्ञ बनें
Sanjay ' शून्य'
*खड़ी हूँ अभी उसी की गली*
*खड़ी हूँ अभी उसी की गली*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
* जगो उमंग में *
* जगो उमंग में *
surenderpal vaidya
जीवन का एक और बसंत
जीवन का एक और बसंत
नवीन जोशी 'नवल'
पंडित मदनमोहन मालवीय
पंडित मदनमोहन मालवीय
नूरफातिमा खातून नूरी
कितनी मासूम
कितनी मासूम
हिमांशु Kulshrestha
*आए अंतिम साँस, इमरती चखते-चखते (हास्य कुंडलिया)*
*आए अंतिम साँस, इमरती चखते-चखते (हास्य कुंडलिया)*
Ravi Prakash
चराग़ों की सभी ताक़त अँधेरा जानता है
चराग़ों की सभी ताक़त अँधेरा जानता है
अंसार एटवी
संसार एक जाल
संसार एक जाल
Mukesh Kumar Sonkar
हम अपनी ज़ात में
हम अपनी ज़ात में
Dr fauzia Naseem shad
दोहा छंद विधान ( दोहा छंद में )
दोहा छंद विधान ( दोहा छंद में )
Subhash Singhai
स्त्री एक कविता है
स्त्री एक कविता है
SATPAL CHAUHAN
वक्त के आगे
वक्त के आगे
Sangeeta Beniwal
चंचल पंक्तियाँ
चंचल पंक्तियाँ
Saransh Singh 'Priyam'
खुश-आमदीद आपका, वल्लाह हुई दीद
खुश-आमदीद आपका, वल्लाह हुई दीद
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
ना मानी हार
ना मानी हार
Dr. Meenakshi Sharma
मिट्टी का बदन हो गया है
मिट्टी का बदन हो गया है
Surinder blackpen
उसकी वो बातें बेहद याद आती है
उसकी वो बातें बेहद याद आती है
Rekha khichi
नसीब तो ऐसा है मेरा
नसीब तो ऐसा है मेरा
gurudeenverma198
Loading...