मैं मेरा परिवार और वो यादें…💐
मैं तो दुनियाँ में अकेला ही आया था,
फिर माँ बाप और परिवार मिला।
थोड़ा समय बदल तो मोहल्ले में यार मिला,
उम्र थोड़ी और बढ़ी तो स्कूल का प्यार मिला।।
उम्र दरवाजे पर दस्तक हर दिन दे रही थी,
फिर कॉलेज में मुझे एक नया नाम मिला।
मैं तो दुनियाँ में अकेला ही आया था,
फिर माँ बाप और परिवार मिला।।
मैं जब भी मुस्कराया तो घर से दुलार मिला,
थोड़ा सा भी अगर घबराया तो बड़ो का प्यार मिला।
मैं अधूरा किरदार लेकर आया था सपनो का,
इलाहाबाद आये तो तुम जैसा यार मिला।।
ख्वाहिशों की हसीन दुनियां में हयात,
एक नूर भरा चेहरा बेहिसाब मिला।
मेरी कलम और दिल ने जब भी पुकारा,
तड़पती रातों का सुकूं हर दफा यार मिला।।
चाँद अकेला ही सोया था हमारी गोद में,
अज़ीज ए कलम से क्या शिकायत करूँ।
तुमसे हमें अज़ल जैसा एक प्यारा नाम मिला,
मैं तो दुनियाँ में अकेला ही आया था।।
फिर माँ बाप और परिवार मिला…
लवकुश यादव “अज़ल”
अमेठी, उत्तर प्रदेश