मैं बेरोजगार हूँ। (एक बेरोजगार का दर्द)
मौजूदा हालातों का मैं एक शिकार हूँ,
आओ मिलो मुझसे, मैं बेरोजगार हूँ।
इन विषम परिस्थितियों में बेबस हूँ, लाचार हूँ,
आओ मिलो मुझसे, मैं बेरोजगार हूँ।
आती-जाती सरकारों के प्रलोभनों का शिकार हूँ,
आओ मिलो मुझसे, मैं बेरोजगार हूँ।
हर पाँच साल बाद किया गया संशोधन हूँ, सुधार हूँ,
आओ मिलो मुझसे, मैं बेरोजगार हूँ।
वर्तमान का ज्वलंत मुद्दा, चुनावों का आधार हूँ,
आओ मिलो मुझसे, मैं बेरोजगार हूँ।
प्रस्तुत समस्त चुनौतियों का मैं भी एक प्रकार हूँ,
आओ मिलो मुझसे, मैं बेरोजगार हूँ।
परिवार के लिए मैं तपता हुआ बुखार हूँ,
आओ मिलो मुझसे, मैं बेरोजगार हूँ।
समाज की नजरों में मैं निकम्मा हूँ, बेकार हूँ,
आओ मिलो मुझसे, मैं बेरोजगार हूँ।
पैसों की कमी के चलते ठुकराया गया प्यार हूँ,
आओ मिलो मुझसे, मैं बेरोजगार हूँ।
आवाज उठाने पर ठहराया गया भ्रष्टाचार हूँ,
आओ मिलो मुझसे, मैं बेरोजगार हूँ।
तमाम कोशिशों के बाद मानी गई हार हूँ,
आओ मिलो मुझसे, मैं बेरोजगार हूँ।
काम छोटा हो या बड़ा, कुछ भी करने को तैयार हूँ,
आओ मिलो मुझसे, मैं बेरोजगार हूँ।
– मानसी पाल
‘फतेहपुर’