*मैं बच्चों की तरह हर रोज, सारे काम करता हूँ (हिंदी गजल/गीति
मैं बच्चों की तरह हर रोज, सारे काम करता हूँ (हिंदी गजल/गीतिका)
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( 1 )
मैं बच्चों की तरह हर रोज, सारे काम करता हूँ
न कोई है मुझे लालच, किसी से न मैं डरता हूँ
( 2 )
धवल अपना हृदय लेकर, सुबह से शाम तक प्रतिदिन
मैं मस्ती में हिरन-जैसे ,कुलाँचे रोज भरता हूँ
(3)
सभी के सुख की होती है ,सदा ही कामना मेरी
इसी कारण किसी को मैं ,नहीं हरगिज अखरता हूँ
(4)
किसे मालूम है जीवन का, कब अंतिम दिवस होगा
यही मैं सोच कर हर रोज , बिस्तर से उतरता हूँ
(5)
मुझे मिलना है मिट्टी में ,निजी अस्तित्व को खोकर
मुझे यह ध्यान में रहता है ,जब भी मैं सँवरता हूँ
(6)
कभी लगता है जैसे मैं ,अडिग चट्टान जैसा हूँ
कभी लगता है पंखुड़ियों के ,जैसे मैं बिखरता हूँ
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश )
मोबाइल 99976 15451