Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
30 Apr 2024 · 1 min read

राजनीति में इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि क्या मूर्खता है

राजनीति में इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि क्या मूर्खता है और क्या बुद्धिमानी। फर्क इस बात से पड़ता है कि जनता के बीच क्लिक क्या करता है। अगर यह मूर्ति क्लिक हो गई तो यह मूर्खता बहुतों की अकल पर भारी पड़ेगी। वैसे भी आजकल पब्लिक को अकल वाली चीजें कहाँ पसन्द आ रही हैं।
—मनोज कुमार पांडेय के कहानी संग्रह ‘प्रतिरूप’ की शीर्षक कहानी से

18 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
FUSION
FUSION
पूर्वार्थ
*मंज़िल पथिक और माध्यम*
*मंज़िल पथिक और माध्यम*
Lokesh Singh
आवाजें
आवाजें
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
वह लोग जिनके रास्ते कई होते हैं......
वह लोग जिनके रास्ते कई होते हैं......
कवि दीपक बवेजा
वो सुहाने दिन
वो सुहाने दिन
Aman Sinha
ग़ज़ल-हलाहल से भरे हैं ज़ाम मेरे
ग़ज़ल-हलाहल से भरे हैं ज़ाम मेरे
अरविन्द राजपूत 'कल्प'
तिलक-विआह के तेलउँस खाना
तिलक-विआह के तेलउँस खाना
आकाश महेशपुरी
शिक्षक दिवस
शिक्षक दिवस
नूरफातिमा खातून नूरी
दुखांत जीवन की कहानी में सुखांत तलाशना बेमानी है
दुखांत जीवन की कहानी में सुखांत तलाशना बेमानी है
Guru Mishra
ग़ज़ल/नज़्म - वो ही वैलेंटाइन डे था
ग़ज़ल/नज़्म - वो ही वैलेंटाइन डे था
अनिल कुमार
काव्य की आत्मा और रीति +रमेशराज
काव्य की आत्मा और रीति +रमेशराज
कवि रमेशराज
गरीबी हटाओं बनाम गरीबी घटाओं
गरीबी हटाओं बनाम गरीबी घटाओं
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
शरद पूर्णिमा
शरद पूर्णिमा
Raju Gajbhiye
मैं भी डरती हूॅं
मैं भी डरती हूॅं
Mamta Singh Devaa
आजकल अकेले में बैठकर रोना पड़ रहा है
आजकल अकेले में बैठकर रोना पड़ रहा है
Keshav kishor Kumar
माँ भारती की पुकार
माँ भारती की पुकार
लक्ष्मी सिंह
■दोहा■
■दोहा■
*Author प्रणय प्रभात*
2869.*पूर्णिका*
2869.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
*ड्राइंग-रूम में सजी सुंदर पुस्तकें (हास्य व्यंग्य)*
*ड्राइंग-रूम में सजी सुंदर पुस्तकें (हास्य व्यंग्य)*
Ravi Prakash
धनतेरस
धनतेरस
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
चुनाव
चुनाव
Lakhan Yadav
*परवरिश की उड़ान* ( 25 of 25 )
*परवरिश की उड़ान* ( 25 of 25 )
Kshma Urmila
हे कान्हा
हे कान्हा
Mukesh Kumar Sonkar
जिज्ञासा
जिज्ञासा
Neeraj Agarwal
कोठरी
कोठरी
Punam Pande
सत्य कहाँ ?
सत्य कहाँ ?
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
संसार है मतलब का
संसार है मतलब का
अरशद रसूल बदायूंनी
क्यों गए थे ऐसे आतिशखाने में ,
क्यों गए थे ऐसे आतिशखाने में ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
मुक्तक
मुक्तक
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
संस्मरण #पिछले पन्ने (11)
संस्मरण #पिछले पन्ने (11)
Paras Nath Jha
Loading...