मैं तो महज इत्तिफ़ाक़ हूँ
मैं तो महज इत्तिफ़ाक़ हूँ
हर रोज की मैं बात हूँ
वियोग हूँ मुलाकात हूँ
मैं तो महज इत्तिफ़ाक़ हूँ
जिंदगी की राहों में
आ जाऊँ मैं बाहों में
मैं तो महज इत्तिफ़ाक़ हूँ
मुस्कुराते को मुरझा दूँ
मुरझाए को खिला दूँ
मैं तो महज इत्तिफ़ाक़ हूँ
सहम जाते हैं सभी
समझ न पाते हैं कभी
मैं तो महज इत्तिफ़ाक़ हूँ
मुझसे वो अंजान है
V9द क्यों हैरान है
मैं तो महज इत्तिफ़ाक़ हूँ