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22 Mar 2023 · 1 min read

मैं जान लेना चाहता हूँ

मैं जान लेना चाहता हूँ
तुम्हारे बारे में
उस नदी की भांति
उद्गम से लेकर आदि और अनंत तक,

हर वो पड़ाव जब की
कब तुम में कोई दूसरी
नदी आकर मिली

कौन तुम में हाथ धोकर गया,
कौन डूब कर गया, कौन डूब कर तुम में समा गया।

कौन रहा होगा वो जिसने तुमसे
आचमन किया, किसने तुम्हे
अपने पैरो पर उड़ेल कर आगे बढ़ गया

अंतरंग की आग किसने बुझाई तुमसे
कौन तुम्हारे किनारे बैठकर तुम्हे
निहारता रहा,

किसने गुलाब की मदमस्त कलिया डाल तुम्हे
सुवासित किया, गंदी मानसिकता से किसने
तुम्हारा जीना मुहाल किया होगा

विलीन हो गए किसी नदी या समंदर में,
या खो गया अस्तित्व रेगिस्तान में,
कहीं बंजर जमीं की दरारें तो नहीं पी गई तुम्हे

कोई तो रहा होगा इस लंबे सफर में
जो सब विचारों से परे हो तुम में समा गया
होगा और तुम उसमे ..मेरी लालसा थी ये सब
जान लेना, द्रवित कुंठित पिपासा थी

वो सब जान लेने की जो तुम किसी से न कह सके
उद्गम से लेकर आदि और अनंत तक ॥

~ अजीत मालवीया “ललित”
~ Ajeet malviya “Lalit”

गाडरवारा, नरसिंहपुर म०प्र०

Language: Hindi
1 Like · 474 Views

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