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7 Sep 2024 · 1 min read

मैं झुका नहीं मैं गिरा नहीं

पथ डांवाडोल हुआ बेशक
मैं झुका नहीं मैं गिरा नहीं

मेहनत थी मेरे हाथों में
नियत में कोई खोट नहीं
भाग्य का खेल हुआ बेशक
मैं झुका नहीं मैं गिरा नहीं

सच्च होते सपने टूटे हैं
खुदा और फरिश्ते रुठे हैं
किस्मत ने मखौल किया बेशक
मैं झुका नहीं मैं गिरा नहीं

दिल टूटा, नहीं शोर किया
जीवन बिखरा, बटोर लिया
गमज़दा रहा मैं जितना बेशक
मैं झुका नहीं मैं गिरा नहीं

‘V9द’ भरोसा खुद पर था
आशीष बड़ों का सिर पर था
बस बढ़ता रहा मैं थका बेशक
मैं झुका नहीं मैं गिरा नहीं

स्वरचित
V9द चौहान

1 Like · 31 Views
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