मैं झुका नहीं मैं गिरा नहीं
पथ डांवाडोल हुआ बेशक
मैं झुका नहीं मैं गिरा नहीं
मेहनत थी मेरे हाथों में
नियत में कोई खोट नहीं
भाग्य का खेल हुआ बेशक
मैं झुका नहीं मैं गिरा नहीं
सच्च होते सपने टूटे हैं
खुदा और फरिश्ते रुठे हैं
किस्मत ने मखौल किया बेशक
मैं झुका नहीं मैं गिरा नहीं
दिल टूटा, नहीं शोर किया
जीवन बिखरा, बटोर लिया
गमज़दा रहा मैं जितना बेशक
मैं झुका नहीं मैं गिरा नहीं
‘V9द’ भरोसा खुद पर था
आशीष बड़ों का सिर पर था
बस बढ़ता रहा मैं थका बेशक
मैं झुका नहीं मैं गिरा नहीं
स्वरचित
V9द चौहान