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22 Mar 2021 · 1 min read

मैं और तुम

मैं और तुम …

तुम शैल विशाल अचल
मैं निर्झर झरने का जल
तुम ठहरे गहरे अनंत सागर
मैं बहती नदिया कल कल

तुम पूनम के बढ़ते विधु
मैं नित घटती ईद का इंदु
तुम उगते ओजस्वी दिनकर
मैं डूबती अंशु संध्या सिंधु

तुम असीम अंबर नीली छतरी
मैं सिमटी अवनी धानी चुनरी
तुम गुन गुन गुंजन करते अलि
मैं गुमसुम गुँचा लाज की गठरी

पृथक रूप एक प्राणों के तार
तुम मुझमें मेरा तुझमें विस्तार
नैसर्गिक है ये प्रणय अनुबंध
सदियों से सदियों तक संभार

रेखांकन।रेखा

Language: Hindi
2 Comments · 328 Views

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