“मैं आग हूँ”
“मैं आग हूँ”
दिलों में लग कर प्यार जगाती हूँ
ज़ज्बे में लग कर इंसान बनाती हूँ
साँच को कभी आने न देती आँच हूँ
मैं आग हूँ.
-डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
साहित्य वाचस्पति
“मैं आग हूँ”
दिलों में लग कर प्यार जगाती हूँ
ज़ज्बे में लग कर इंसान बनाती हूँ
साँच को कभी आने न देती आँच हूँ
मैं आग हूँ.
-डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
साहित्य वाचस्पति