मेरे न रहने पर…!
मेरे न रहने पर पढ़ी जायेगी मेरी लिखी कवितायेँ,
मेरी निराशा का उसमे कारण खोजा जाएगा,
कही आ न जाए समाज के सामने सच्चाई सारी,
इस डर से मेरे शब्दो का गला घोटा जाएगा,
बेशक़ कतल हो जाए मेरी मासूमियत का सरे आम
इस समझदारो की दुनिया में,
मेरे एकांत में ज्यादा समय व्यतीत करने के बहाने
के नीचे सच्चाई को पैरों तले दबोचा जाएगा…!
~ गरिमा प्रसाद 🥀