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14 Dec 2016 · 1 min read

मेरी ग़ज़ल

प्रिय मित्रों मुझे बताते हुए बहुत ख़ुशी हो रही है कि मेरी ग़ज़ल जय विजय ,बर्ष -३ , अंक ३ ,दिसम्बर २०१६ में प्रकाशितहुयी है . आप भी अपनी प्रतिक्रिया से अबगत कराएँ .

उनको तो हमसे प्यार है ये कल की बात है
कायम ये ऐतबार था ये कल की बात है

जब से मिली नज़र तो चलता नहीं है बस
मुझे दिल पर अख्तियार था ये कल की बात है

अब फूल भी खिलने लगा है निगाहों में
काँटों से मुझको प्यार था ये कल की बात है

अब जिनकी बेबफ़ाई के चर्चे हैं हर तरफ
बह पहले बफादार थे ये कल की बात है

जिसने लगायी आग मेरे घर में आकर के
बह शख्श मेरा यार था ये कल की बात है

तन्हाईयों का गम ,जो मुझे दे दिया उन्होनें
बह मेरा गम बेशुमार था ये कल की बात है

मदन मोहन सक्सेना

1 Like · 245 Views
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