मेरी है बड़ाई नहीं
मेरी है बड़ाई नहीं
करते सब आप प्रभु,
लोगों की जुबान का
पुकारी बन गया हूँ मैं।
पूंछता न कोई कभी
कौन हूँ कहाँ से आया,
रामकृपा बॉस का
स्वीकारी बन गया हूँ मैं।
आता जाता कुछ नहीं
रहमत तुम्हारी प्रभु,
लोगों के मध्य
जानकारी बन गया हूँ मैं।
अपने करतार का
मनुहारी हूँ सदा के लिए,
हल्दी की गांठ से
पंसारी बन गया हूं मैं ।
मैं अनजान था
न ज्ञान रहा मेरे पास,
फिर भी वाइट जिप्सी का
सवारी बन गया हूँ मैं ।
नजरे इनायत हुई
ठाकुरजी की मेरे ऊपर ।
सेना में अफसर
सरकारी बन गया हँ मैं |
सतीश सृजन.लखनऊ