Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
1 Nov 2018 · 1 min read

मेरी भोली “माँ” (सहित्यपीडिया काव्य प्रतियोगिता)

कभी वो ‘व्रत’ करती है, तो कभी ‘अरदास’ गाती है।
मेरे खातिर न जाने वो, कितने तिकड़म भिड़ाती है।।
वो रह ‘उपवास’ निर्जला, ‘जीवित्पुत्रिका’ निभाती है।
मेरी भोली “माँ” मुझे अब भी, काला टीका लगाती है।।

वो उठती चौक कर रातों में, जो करवट बदलता था।
वो सुन लेती मेरी बातें, मैं जब बोला भी न करता था।।
मैं अब जो बोल नही पाता, वो वो भी जान जाती है।
मेरी भोली “माँ” मुझे अब भी, काला टीका लगाती है।।

कुलांचे मारता दिनभर, था “माँ” बेखौफ आंगन में।
रसोई में भी रहकर थी, तू करती रक्षा अँखियन से।।
मगर जब गिर पड़ता था, तो छण में दौड़ी आती है।।
मेरी भोली “माँ” मुझे अब भी, काला टीका लगाती है।।

सुलभ मन जान न पाता, निर्विघ्न “माँ” तेरी ममता को।
करे क्यो रार मुझ खातिर, ‘चुनौती’ दे हर क्षमता को।।
तेरी समता के सामने क्यों, ‘सृष्टि’ फ़ीका बुझाती है।
मेरी भोली “माँ” मुझे अब भी, काला टीका लगाती है।।

सरस मन और सरल हृदय, तेरा ‘अवतार’ अनूठा है।
तेरे बिन ‘विश्व’ क्या ‘ब्रह्मांड’ का, रचना भी झूठा है।।
तेरा तो रूप “माँ” ‘देवतुल्य’, जगत गुण जिसका गाती है।
मेरी भोली “माँ” मुझे अब भी, काला टीका लगाती है।।

©® पांडेय चिदानंद “चिद्रूप”
(सर्वाधिकार सुरक्षित ०१/११/२०१८)
ग्राम व पोस्ट:- रेवतीपुर,
ज़िला:- गाज़ीपुर,

80 Likes · 275 Comments · 2691 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
इन तूफानों का डर हमको कुछ भी नहीं
इन तूफानों का डर हमको कुछ भी नहीं
gurudeenverma198
जी हमारा नाम है
जी हमारा नाम है "भ्रष्ट आचार"
Atul "Krishn"
" बहाना "
Dr. Kishan tandon kranti
Active रहने के बावजूद यदि कोई पत्र का जवाब नहीं देता तो वह म
Active रहने के बावजूद यदि कोई पत्र का जवाब नहीं देता तो वह म
DrLakshman Jha Parimal
पेड़ पौधे फूल तितली सब बनाता कौन है।
पेड़ पौधे फूल तितली सब बनाता कौन है।
सत्य कुमार प्रेमी
*बच्चे-जैसे हम बनें, प्रभु जी दो वरदान (कुंडलिया)*
*बच्चे-जैसे हम बनें, प्रभु जी दो वरदान (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
सब कुछ बदल गया,
सब कुछ बदल गया,
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
*दहेज*
*दहेज*
Rituraj shivem verma
Everyone enjoys being acknowledged and appreciated. Sometime
Everyone enjoys being acknowledged and appreciated. Sometime
पूर्वार्थ
ग़ज़ल --
ग़ज़ल --
Seema Garg
शब्द केवल शब्द नहीं हैं वो किसी के लिए प्राण हैं
शब्द केवल शब्द नहीं हैं वो किसी के लिए प्राण हैं
Sonam Puneet Dubey
प्रीत को ...
प्रीत को ...
sushil sarna
सामी विकेट लपक लो, और जडेजा कैच।
सामी विकेट लपक लो, और जडेजा कैच।
गुमनाम 'बाबा'
..
..
*प्रणय*
कलकल बहती माँ नर्मदा !
कलकल बहती माँ नर्मदा !
मनोज कर्ण
सृजन और पीड़ा
सृजन और पीड़ा
Shweta Soni
सुख - डगर
सुख - डगर
Sandeep Pande
मां शारदे वंदना
मां शारदे वंदना
Neeraj Agarwal
जहां में
जहां में
SHAMA PARVEEN
बचपन के सबसे प्यारे दोस्त से मिलने से बढ़कर सुखद और क्या हो
बचपन के सबसे प्यारे दोस्त से मिलने से बढ़कर सुखद और क्या हो
इशरत हिदायत ख़ान
..........?
..........?
शेखर सिंह
गांव
गांव
Bodhisatva kastooriya
कृषक
कृषक
Shaily
2845.*पूर्णिका*
2845.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
एक पल को न सुकून है दिल को।
एक पल को न सुकून है दिल को।
Taj Mohammad
आंखों में ख़्वाब है न कोई दास्ताँ है अब
आंखों में ख़्वाब है न कोई दास्ताँ है अब
Sarfaraz Ahmed Aasee
इश्क़ में वक्त को बुरा कह देना बिल्कुल ठीक नहीं,
इश्क़ में वक्त को बुरा कह देना बिल्कुल ठीक नहीं,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
किसी ने बड़े ही तहजीब से मुझे महफिल में बुलाया था।
किसी ने बड़े ही तहजीब से मुझे महफिल में बुलाया था।
Ashwini sharma
****वो जीवन मिले****
****वो जीवन मिले****
Kavita Chouhan
रोशनी से तेरी वहां चांद  रूठा बैठा है
रोशनी से तेरी वहां चांद रूठा बैठा है
Virendra kumar
Loading...