Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
16 Sep 2024 · 1 min read

“मेरी बात सुनो”

“मेरी बात सुनो”

बिजली आई खम्भे गड़े
लम्बे-लम्बे बड़े-बड़े,
जिधर देखो वहीं नजर आते
क्यूँ बोर न होते खड़े-खड़े?

2 Likes · 2 Comments · 58 Views
Books from Dr. Kishan tandon kranti
View all

You may also like these posts

सत्य केवल उन लोगो के लिए कड़वा होता है
सत्य केवल उन लोगो के लिए कड़वा होता है
Ranjeet kumar patre
सच जिंदा रहे(मुक्तक)
सच जिंदा रहे(मुक्तक)
गुमनाम 'बाबा'
नित्य अमियरस पान करता हूँ।
नित्य अमियरस पान करता हूँ।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
क्या कहें
क्या कहें
विजय कुमार नामदेव
नज़्म
नज़्म
Jai Prakash Srivastav
क्या लिखूं ?
क्या लिखूं ?
Rachana
- गजब हो गया -
- गजब हो गया -
bharat gehlot
मम्मी पापा के छांव
मम्मी पापा के छांव
राधेश्याम "रागी"
हमारा विद्यालय
हमारा विद्यालय
आर.एस. 'प्रीतम'
जीवन शैली
जीवन शैली
OM PRAKASH MEENA
4693.*पूर्णिका*
4693.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
प्रेम
प्रेम
Dr. Chandresh Kumar Chhatlani (डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी)
*देह बनाऊॅं धाम अयोध्या, मन में बसते राम हों (गीत)*
*देह बनाऊॅं धाम अयोध्या, मन में बसते राम हों (गीत)*
Ravi Prakash
हिन्दी
हिन्दी
Dr.Pratibha Prakash
शहर में बिखरी है सनसनी सी ,
शहर में बिखरी है सनसनी सी ,
Manju sagar
विकृती
विकृती
Mukund Patil
I've learned a lot this year. I learned that things don't al
I've learned a lot this year. I learned that things don't al
पूर्वार्थ
आत्मा, भाग्य एवं दुर्भाग्य, सब फालतू की बकबास
आत्मा, भाग्य एवं दुर्भाग्य, सब फालतू की बकबास
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
उदास धड़कन
उदास धड़कन
singh kunwar sarvendra vikram
खुशबू सी बिखरी हैं फ़िजा
खुशबू सी बिखरी हैं फ़िजा
Sunita
मुक्तक (विधाता छन्द)
मुक्तक (विधाता छन्द)
जगदीश शर्मा सहज
*सावन में अब की बार
*सावन में अब की बार
Poonam Matia
जीवन में जागरूकता कैसे लाएँ। - रविकेश झा
जीवन में जागरूकता कैसे लाएँ। - रविकेश झा
Ravikesh Jha
रक्त के परिसंचरण में ॐ ॐ ओंकार होना चाहिए।
रक्त के परिसंचरण में ॐ ॐ ओंकार होना चाहिए।
Rj Anand Prajapati
तुम्हारे फाइलों में गांव का मौसम गुलाबी है
तुम्हारे फाइलों में गांव का मौसम गुलाबी है
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
स्वतंत्रता
स्वतंत्रता
Seema gupta,Alwar
घड़ी चल रही टिक टिक टिक।
घड़ी चल रही टिक टिक टिक।
Anil Kumar Mishra
आदमी
आदमी
अखिलेश 'अखिल'
बंदर का खेल!
बंदर का खेल!
कविता झा ‘गीत’
किसी की बेवफाई ने
किसी की बेवफाई ने
डॉ. एकान्त नेगी
Loading...