क़िताबों से मुहब्बत कर तुझे ज़न्नत दिखा देंगी
चाँद बदन पर ग़म-ए-जुदाई लिखता है
*पाते हैं सौभाग्य से, पक्षी अपना नीड़ ( कुंडलिया )*
सबको सम्मान दो ,प्यार का पैगाम दो ,पारदर्शिता भूलना नहीं
अब तो सब बोझिल सा लगता है
*शुभ रात्रि हो सबकी*
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
मनमोहिनी प्रकृति, क़ी गोद मे ज़ा ब़सा हैं।
💐प्रेम कौतुक-171💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
संवरना हमें भी आता है मगर,
वक्त आने पर भ्रम टूट ही जाता है कि कितने अपने साथ है कितने न
आ भी जाओ मेरी आँखों के रूबरू अब तुम
कुछ रिश्तो में हम केवल ..जरूरत होते हैं जरूरी नहीं..! अपनी अ