मेरी कल्पना
देखा नहीं है मैंने तुमको, फिर भी दिल ये कह देता है।
प्यारी-प्यारी सूरत होगी, सबसे न्यारी मूर्त होगी।।
चंचलता बातों में होगी, चालाकी ना तुझमें होगी।
होठों पे नर्मी भी होगी, गालों पे सुर्खी भी होगी।।
शर्म तो तेरी आँखों में होगी, बेशर्मी ना तुझमें होगी।
पहनावे पर ध्यान भी होगा, उत्तम तेरा ज्ञान भी होगा।।
अहम का तुझ में नाम ना होगा, गलत कभी ना कोई काम होगा।
बातें भी मनमोहक होंगी, बालों में मोहकता होगी।।
बातों में गहराई भी होगी, आँखों से शर्मायी भी होगी।
शालीन तेरा स्वभाव होगा, स्वर में तेरे भाव भी होगा।।
सपने तेरे मन में होंगे, गैर भी तेरे अपने होंगे ।
दिल में तेरे प्यार भी होगा, मेरा ऐतबार भी होगा।।
सबके तू दिल में भी होगी, मन में तेरे जलन ना होगी।
अर्चना ललित की कब पूरी होगी, अच्छी ही अब दूरी होगी।।
नहीं किसी से कभी प्यार होगा, तेरा ही बस इंतजार होगा।
तन मन से तू प्यारी होगी, अपनी जोड़ी न्यारी होगी।।
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“ललकार भारद्वाज”