*वह गुरू है (मुक्तक)*
वह गुरू है (मुक्तक)
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सुगढ़ हाथों से देता जो हमें आकार वह गुरु है
सुधरती जिंदगी है जिसकी खा फटकार वह गुरु है
मिला करते हैं गुरु सच्चे सदा ही भाग्य से हमको
हमें ले जाता है मॅंंझधार से जो पार वह गुरु है
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रचयिता: रवि प्रकाश
बजार सर्राफा
रामपुर (उ.प्र.)
मोबाइल 999761545)