मेरा भारत महान —
विषय–मेरा भारत महान —
विधा– पद्य
शस्य श्यामला भारत भूमि जग में सबसे बढ़कर है;
प्रकृति का रमणीय शृंगार अवनि की धानी चुनर है।
देव अवतारी भूमि, सुर नर मुनि जन शीश झुकाते हैं;
देव दुंदुभी बजती,शौर्य तिलक भाल जब सजते हैं।
अंशु किरण मंदिर घट नहलाये,नवल भोर सुहानी है;
शीतल मंद सुगंध पवन से झंकृत तन-मन रूहानी है।
रंग रंगीले प्रसून महकें, प्रफुल्लित मन प्राण नजारा है;
गंगा जमुना शुचि कल कल नदियों की पावन धारा है।
हिमगिरि का उत्तुंग शिखर भारतभूमि का रण प्रहरी है;
मेरे देश में राम कृष्ण नानक कबीर नाना अवतारी हैं।
सप्त सिंधु चरण पखारे, अनेकता में एकता न्यारी है;
पावन केसरिया माटी पर गर्वित हिय नर और नारी है।
दधिचि कर्ण शूरवीर जन्में,प्रभुलीला कर्म कहानी है;
वेद पुराण मंत्र ऋचाओं में बसती ईश्वरीय वाणी है।
हवन समिधा वेद मंत्रों से अभिमंत्रित दिव्य स्वर गूँजें;
सकारात्मक ऊर्जा प्रवाहित करें सदन गेह वीथी कूँचें।
गौ माता की पहली रोटी यहाँ घर घर का संस्कार है;
अतिथि देवो भव परिपाटी आवभगत का व्यवहार है।
गुरू चरणों में माथा झुकता,ये सिखलाते सदाचार हैं;
अनुज पर नेह दुलार बरसे, वरिष्ठता को नमस्कार है।
‘जननी जन्मभूमि स्वर्ग से बढ़कर’ भाव अनुप्राणित है;
सीमा पे शहीद वीर जब होते,हृदय भाव आह्लादित हैं।
ये मेरा वतन मेरा गुलशन मुझे जान से ज्यादा प्यारा है;
सकल विश्व में वंदित, विश्व गुरू भारत देश हमारा है।
✍ सीमा गर्ग मंजरी,
मौलिक सृजन,
मेरठ कैंट उत्तर प्रदेश।
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