मेरा परिचय
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मुसहरवा मंशानगरी है, जन्म लिया वह ग्राम।
संजीव शुक्ल ‘सचिन’ नाम जी, लेखन मेरा काम।।
मार्च सताईस सन् छिहत्तर, फाल्गुन का वह माह।
जन्म लिया इस भू पे आया, पाया प्रेम अथाह।।
मात पिता ज्ञके शुभाशीष से, मिले हैं, कई मुकाम।
संजीव शुक्ल ‘सचिन’ नाम जी, लेखन मेरा काम।।
मंजू देवी मातु हमारी, श्री विनोद जी तात।
मास्टर ग्रेजुएट संस्कृत में, लिखता मन की बात।।
सत्य मार्ग के अनुशीलन का, देता नित पैगाम।
संजीव शुक्ल ‘सचिन’ नाम जी, लेखन मेरा काम।।
मात पिता का ज्येष्ठ पुत्र मैं, लघु है कुन्दन भ्रात।
वालिदैन का साया सिर पे, आशीष देते तात।।
लेखन से था दूर जभी तक, तबतक था गुमनाम।
संजीव शुक्ल ‘ सचिन’ नाम जी, लेखन मेरा काम।।
शिक्षा – दिक्षा मुझे मिली है, विश्वनाथ के धाम।
देवनदी बहती वह काशी, हर पल आठो याम।।
गुरुजनों से सीख था पाया, कर सेवा निष्काम।
संजीव शुक्ल ‘सचिन’ नाम जी, लेखन मेरा काम।।
निभा मेरी प्राणप्रिया अरु, मेरे दो सुकुमार।
सत्यम, गर्वित नाम दिया है, इन से ही संसार।।
इनके हित घर त्याग दूर हूँ, एक आस श्री राम।
संजीव शुक्ल ‘सचिन’ नाम जी, लेखन मेरा काम।।
निजी क्षेत्र में कार्य करूं मैं, है दिल्ली में वास।
अपनों के हित तत्पर रहता, सहने को वनवास।।
व्यस्त रहूं मैं हर दिन हर पल, सुबह से लेकर शाम।
संजीव शुक्ल ‘सचिन’ नाम जी, लेखन मेरा काम।।
✍️पं.संजीव शुक्ल ‘सचिन